Muharram Status In Hindi
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कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज है,
उस नवासे पर मुहम्मद को नाज है,
यूँ तो लाखों सिर झुके सजदे में लेकिन
हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज है।
फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई,
वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई,
नमाज़ 1400 सालों से इंतजार में है,
हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई।
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,
सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने,
नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें,
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।
न हिला पाया वो रब की मैहर को भले जात गया वो कायर जंग पर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआ वही था असली और सच्चा पैगम्बर।
आंखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे ताबीर में इमाम का जलवा दिखायी दे ए! इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे।
Happy Muharram quotes
सिर गैर के आगे ना झुकाने वाला और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।
एक दिन बड़े ग़रूर एक दिन बड़े ग़रूर से कहने लगी जमीन आया मेरे नसीब में परचम हुसैन का ,फिर चांद ने कहा मेरे सीने के दाग देख होता है आसमान पे भी मातम हुसैन का
खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने,रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने। खुद को तो एक बूंद भी मिल ना सका पानी, लेकिन कर्बला को खून पिलाया हुसैन ने।
अपनी तक़दीर जगाते है तेरे मातम से, खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से। अपने इज़हार-ए-अक़ीदत का सिलसिला ये है, हम नया साल मनाते है तेरे मातम से।
Muharram Status
मुहर्रमº को याद करो वो कुर्बानी,
जो सिखा गया सहीº अर्थ इस्लामी,
नाº डिगा वो हौसलों से अपने,
काटकर सर सिखाईº असल जिंदगानी.
Ayaº wo mere dil me phir
ek naye ghamº ki tarah,
is ºbaar bhi eid guzri
meri muharram ki tarah.
दिनº रोता है रात रोती है..
हर मोमिनº की जात रोती है,
जब भी आता है मुहर्रमº का महिना,
खुदा की कसम ग़म-ए-हुसैन,
सारीº कायनात रोती है
तरीका मिसालº असी कोईº दोंड के लिए,
सर तनº से जुड़ा भी हो मगर मौत न आये,
सोचन मैं सबर ओ राजा के जो मफिल,
एक हुसैन राº अब अली रा जैन मैं आये।।
Best Muharram quotes
शदीदन-ए-कर्बला के हौसले थे दीद के क़ाबिल,
वहां पर शुक्र करते थे जहाँ पर सब्र मुश्किल था.
अपनी तक़दीर जगाते है तेरे मातम से,
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से।
अपने इज़हार-ए-अक़ीदत का सिलसिला ये है,
हम नया साल मनाते है तेरे मातम से।
“The year is of twelve months, out of which four months are sacred: Three are in succession Dhul-Qadah, Dhul-Hijjah and Muharram, and (the fourth is) Rajab.”
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