तेजा दशमी कब है 2024और क्यों मनाई जाती हैं इतिहास कथा व मेले की जानकारी
तेजा दशमी का पर्व भाद्रपद शुक्ल दशमी तिथि को मनाते हैं. आपकों बता दे 2024 तेजा दशमी कब है तेज दशमी क्यों मनाई जाती हैं.
राजस्थान के लोक देवता तेजाजी की दशमी क्यों मनाते है.
लोक देवता ऐसे महा पुरुषो को कहा जाता हे जो मानव रूप में जन्म लेकर अपने असाधारणऔर लोकोपकारी कार्यो के कारन देविक अंश के प्रतीक के रूप में स्थानीय जनता द्वारास्वीकार किये गये हे |राजस्थान मेंरामदेवजी, भेरव,तेजाजी, पाबूजी, गोगाजी, जाम्भोजी,जिणमाता ,करणीमाता आदि सामान्यजन में लोकदेवता के रूप में प्रसिद्ध हे | इनके जन्मदिन अथवा समाधि की तिथि को मेलेलगते हे | राजस्थान में भादो शुक्ल दशमी को बाबा रामदेव और सत्यवादी जाट वीर तेजाजी महाराज का मेला लगता हे |
तेजाजी जयंती /दशमी ( Tejaji Maharaj Dashmi celebration) कैसे मनाई जाती है
भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजदशमी मनाया जाता है । नवमी की पूरी रात रातीजगा करने के बाद दूसरे दिन दशमी को जिन- जिन स्थानों पर वीर तेजाजी के मंदिर है ,मेले लगते हैं । लाखों की संख्या में श्रद्धालु नारियल चढाने एवं बाबा की प्रसादी ग्रहण करने के लिए तेजा मंदिर में माथा टेकने जाते हैं ।
इस दिन मंदिरों में तेजाजी के नाम की तांती भी बांधी जाती है । इस दिन सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति ,पशु यह धागा सांप के काटने पर बाबा के नाम से बांध लेते हैं और पीड़ित पर सांप के जहर का असर नहीं होता है |
तेजाजी के चबूतरे को थान कहा जाता है | भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की दशमी को ऐसे स्थानों पर तेजा जी की पूजा होती है और मेला भी लगता है | कृषक वर्ग हल जोतते समय तेजाजी के गीत गाते हैं |
तेजाजी महाराज के पुजारी को ” घोड़ला ” कहते है । तेजाजी के भारत में अनेक मंदिर हैं , जिसमें उनका मुख्य मंदिर खरनाल में है ।
- । तेजाजी नागवंशीय जाट थे ।
तेजाजी पशु मेले का आयोजन
- इनकी याद में परबतसर (नागौर) में प्रत्येक -वर्ष भाद्र शुक्ल पक्ष की दशवीं को पशु मेले का आयोजन किया जाता है ।
- सांप के ज़हर के तोड़ के रूप में गौ मूत्र और गोबर की राख के प्रयोग की शुरूआत सबसे पहले तेजाजी ने की थी ।
- लोक देवता तेजाजी का गौ रक्षा के लिए हुआ मार्मिक बलिदान उनको लोकदेवता की श्रेणी में ले आया ।
- अजमेर जिले के हर गाँव में तेजाजी का थान बना हुआ है ।
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गाँव का चबूतरा ‘ तेजाजी का थान ‘ कहलाता है ।